कल होगा बजट पेश, स्टार्टअप को फंडिंग की कमी दूर होने, टैक्स में रियायत की उम्मीद

नई दिल्ली। मंगलवार को देश का आम बजट पेश किया जाएगा। इस वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन के पटल पर रखेंगी। इस बजट से लोगों को काफी उम्मीदें हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि से लेकर इंडस्ट्री के हर सेक्टर में स्टार्टअप का महत्व बढ़ता जा रहा है। इन्हें बढ़ावा देने के लिए विशेषज्ञों ने फंडिंग की कमी दूर करने, टैक्स में रियायत देने, स्किल डेवलपमेंट और आरएंडडी को बढ़ावा देने जैसे सुझाव दिए हैं। स्पेस सेक्टर में भारतीय स्टार्टअप के बढ़ते कदम को देखते हुए कंपोनेंट पर जीएसटी खत्म करने और अलग प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) की सिफारिश भी की गई है।

 

पहले के बजटों में भी स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए कई कदम उठाए गए


बता दें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में पेश अंतरिम बजट में स्टार्टअप के लिए कई घोषणाएं की थीं। कर छूट के लिए स्टार्टअप गठित करने की अवधि 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई थी। उससे पहले के बजटों में भी स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए कई कदम उठाए गए। इसके बावजूद पिछले दो सालों में नए स्टार्टअप का गठन धीमा हुआ है, उनमें निवेश में कमी आई है और अनेक स्टार्टअप ने बड़े पैमाने पर छंटनी भी की है। 

 

मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी पीएलआई की मांग

इस्पा ने ड्रोन और उसके कंपोनेट के लिए पीएलआई योजना की तरह अंतरिक्ष-ग्रेड के कंपोनेंट की मैन्युफैक्चरिंग के लिए भी पीएलआई की मांग की है। इसका कहना है कि इससे मेक इन इंडिया अभियान के तहत घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने और निवेश आकर्षित करने में मदद मिलेगी। भारत में पंजीकृत न्यूस्पेस स्टार्टअप की संख्या 400 को पार कर गई है। इनमें से कई पूंजी जुटाने की इच्छुक हैं। इस्पा के मुताबिक कई राज्यों में अंतरिक्ष औद्योगिक पार्क विकसित करने की योजना है, कई गैर-सरकारी संस्थाएं बड़े ग्रीन फील्ड निवेश करने की सोच रही हैं। इसलिए अंतरिक्ष क्षेत्र की गतिविधियों में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लगी कंपनियों के लिए कर छूट, कर अवकाश, त्वरित मूल्यह्रास जैसी अन्य पहलों पर विचार किया जाना चाहिए। 
स्टार्टअप के निवेश पर नजर रखने वाली फर्म ट्रैक्सन टेक्नोलॉजीज की सह-संस्थापक नेहा सिंह के मुताबिक डीप टेक स्टार्टअप के लिए समर्पित नीति और इलेक्ट्रिक वाहनों और रिन्यूएबल एनर्जी जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए विशेष फंड से महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता मिलेगी और इनोवेशन को बढ़ावा मिलेगा। इससे भारत को सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में वैश्विक लीडर का स्थान मिलेगा।