सख्त प्रशासन और सुशासन के लिए सीएस का फॉर्मूला

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भोपाल। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेश में सुशासन के लिए जो पहल की है, उसको अमलीजामा पहनाने के लिउ मुख्य सचिव अनुराग जैन ने प्रशासन को सख्त बनाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार के सी-3 फार्मूले (कम्यूनिकेशन, कोआर्डिनेशन और कोआपरेशन)को प्रदेश में लागू करने का निर्णय लिया है। जैन की मंशा है कि प्रदेश के अधिकारी केंद्र सरकार के सी-3 फार्मूले पर काम करें, ताकि विकास को गति मिल सके और प्रदेश की जनता को सुशासन का अहसास हो।
गौरतलब है कि वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के 9 महीने के शासनकाल में उनके सख्त एक्शन और सुशासन के इस दौर में नौकरशाह पूरी तरह नियंत्रण में हैं। इतने कम समय में उन्होंने राज्य में विकास, सुशासन, और पारदर्शिता की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिसने जनता का विश्वास और समर्थन जीता है। अब मुख्य सचिव की कोशिश है कि इसे और दुरूस्त किया जाए। इसके लिए प्रदेश में नई कार्य संस्कृति तैयार की जाएगी। अनुराग जैन ने अफसरों के साथ हुई बैठकों में संकेत दे दिया है कि दफ्तर में बैठकर केवल पत्राचार न करें, जहां जरूरत हो आफिस से बाहर निकले और विकास की योजनाओं को गति देने के लिए बातचीत करें, समन्वय के साथ काम करें और आपसी सहयोग से कार्य के शीघ्र पूरा करने का प्रयास किया जाए। मुख्य सचिव जो सी-3 फार्मूला लागू करना चाहते हैं उसके अनुसार विचारों और सूचनाओं का-आदान-प्रदान और सहयोग कर एक दूसरे के साथ हस्तक्षेप न करने के समझौते के साथ स्वतंत्र लक्ष्य को साधना होगा। एक सामान्य लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समन्वयक द्वारा निर्देशित उपयोगकर्ताओं की क्रियाएं कनी होगी।
जानकारी के अनुसार प्रदेश के नए मुख्य सचिव अनुराग जैन सबसे पहले प्रशासनिक कार्यसंस्कृति में सुधार लाना चाहते हैं। वह लंबे समय से केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर रहे हैं, इसलिए वहां का कार्य व्यवहार मध्य प्रदेश में लागू करना चाहते हैं। केंद्र सरकार के सी-3 फार्मूला यानी कम्यूनिकेशन, कोआर्डिनेशन और कोआपरेशन (संचार, समन्वय, सहयोग) के साथ काम करने पर मुख्य सचिव अनुराग जैन ने जोर दिया है। जैन ने सरकार के कामकाज में तेजी लाने के लिए नई कार्य संस्कृति विकसित करने का निर्देश दिया है। सीएस ने कहा कि मंत्रालय से लेकर जिलों में पदस्थ अधिकारी सी-3 फार्मूले पर काम करें। केंद्र सरकार में यही लागू है। इसका मतलब कम्युनिकेशन, कोआर्डिनेशन और कोआपरेशन यानी संवाद-समन्वय बनाएं और सहयोग से काम करें। सरकारी मेल से ही पत्राचार करें। बैठक में अधिकारी मोबाइल का उपयोग बिल्कुल भी न करें। सभी कार्यालयों में अधिकारी और कर्मचारी समय पर पहुंचें। जनसुनवाई का रवैया भी बदला जाए, जिन विभागों की शिकायतें प्राप्त होती हैं, उनकी साप्ताहिक समीक्षा की जाए। सीएम हेल्पलाइन में आने वाली शिकायतों के निराकरण पर भी नजर रखी जाए। यदि किसी ने भ्रामक जानकारी देकर शिकायत बंद कर दी तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाए। मुख्य सचिव जैन ने स्पष्ट कर दिया है कि दफ्तर में बैठकर केवल पत्राचार न करें, जहां जरूरत हो आफिस से बाहर निकले और विकास की योजनाओं को गति देने के लिए बातचीत करें, समन्वय के साथ काम करें और आपसी सहयोग से कार्य के शीघ्र पूरा करने का प्रयास किया जाए। दरअसल, केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार इसी ध्येय को लेकर काम कर रही है। बता दें कि पिछले चार साल से अधिक समय तक अनुराग जैन केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अपनी सेवाएं दें चुके हैं, ऐसे में केंद्र सरकार में उनकी कार्यशैली का लाभ मध्य प्रदेश को मिलेगा।
प्रदेश के नए मुख्य सचिव अफसरों के अंदर जो कार्यप्रणाली विकसित करना चाहते हैं उसके अनुसार अब अफसर सीधे पत्रचार नहीं कर सकते हैं। मप्र के मैदानी अधिकारी अब केन बेतवा और पार्वती कालीसिंध चंबल जैसी अंतरराज्यीय परियोजनाओं में सीधे पत्राचार नहीं कर सकेंगे। मप्र जल संसाधन विभाग ने अंतरराज्यीय परियोजनाओं में मैदानी मुख्य अभियंताओं को केंद्र एवं अन्य राज्य सरकारों और केंद्रीय जल आयोग से सीधे पत्राचार करने पर रोक लगाई है। यह पत्राचार राज्य शासन के अनुमोदन के बाद सिर्फ प्रमुख अभियंता जल संसाधन ही करेंगे। इस संबंध में जल संसाधन विभाग के सभी कमांड एरिया के मुख्य अभियंताओं को हिदायत जारी की गई है। दरअसल, मैदानी अधिकारी केंद्र एवं अन्य राज्य सरकारों और केंद्रीय जल आयोग से सीधे पत्राचार करते हैं, लेकिन इसकी जानकारी उच्चाधिकारियों को नहीं दी जाती है। इससे कई बार केंद्र सरकार के अधिकारी शासन स्तर और जल संसाधन मुख्यालय के उच्च अधिकारियों के साथ पत्राचार या बैठक करते हैं तो पत्र में संबंधित विषय पर उनको अनभिज्ञता जाहिर करनी पड़ती है, नतीजतन, उन्हें नाराजगी झेलनी होती है। बता प्रदेश पार्वती दें कि अन्य राज्यों से मध्य को जोडऩे वाली केन-बेतवा, कालीसिंध चंबल जैसी परियोजनाओं को लेकर सरकार गंभीर है और इसकी निगरानी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से की जाती है। इसे देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
भ्रष्टाचारियों पर नकेल, जमाखोरी पर लगाम, सूचनाओं की सटीक पारदर्शिता…प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार ने इन मामलों को लेकर कुछ सटीक कदम उठाए हैं। सरकार के इन फैसलों से जहां मौका परस्त अधिकारियों पर लगाम कसने की उम्मीद की जा रही है। वहीं, इन व्यवस्थाओं से प्रदेशवासियों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद भी है। सूत्रों का कहना है कि मुख्य सचिव अनुराग जैन का भी इस दिशा में फोकस है। सरकारी दफ्तरों में होने वाले भ्रष्टाचार, आर्थिक गड़बडिय़ों और कामों में हीला हवाली को रोकने सरकार ने अहम कदम उठाया है। इस मंशा के साथ अब प्रदेश के तीन जिलों में ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त के कार्यालय खोले जाएंगे। इस व्यवस्था से घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसने की उम्मीद है। सूत्रों का कहना है कि लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू के यह ऑफिस शहडोल, मुरैना और नर्मदापुरम में खुलेंगे। बताया जा रहा है कि 2026 तक यह कार्यालय आकार ले लेंगे।

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