इमरजेंसी ब्रेक लगा पायलट ने टाला एक बड़ा हादसा 

फ्लाइट में भी होता है इमरजेंसी ब्रेक, लेकिन लगाना है कब….ये पायलट की सूझबूझ पर निर्भर  

मुंबई । मुंबई एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल टॉवर में मौजूद सभी एयरपोर्ट कर्मियों की सांसे तब रुक गई जब 240 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रहे दो प्‍लेन एक साथ एक ही रनवे पर आ गए।  महज चंद समय के अंतराल से एयर इंडिया का प्‍लेन टेकऑफ हो गया और मुंबई एयरपोर्ट पर एक बड़ा हासदा टल गया। यदि प्‍लेन का टेकऑफ सिर्फ 10 सेकेंड के लिए रुक जाता, तब मुंबई एयरपोर्ट के रनवे पर स्थिति बेहद भयावह होती। इसके बाद जहन में सवाल आता है कि कार या दूसरे वाहनों की तरह क्‍या प्‍लेन में भी कोई इमरजेंसी ब्रेक जैसा कोई सिस्‍टम होता है? चलिए बताते है कि किसी भी प्‍लेन में कैसा होता है, उसका ब्रेकिंग सिस्‍टम और 240 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से रनवे पर लैंड करने वाले प्‍लेन की स्‍पीड को महज चंद सेकेंड के भीतर कंट्रोल किया जाता है। 
दरअसल, शनिवार सुबह मुंबई से त्रिवेंद्रम के लिए शेड्यूल्‍ड फ्लाइट रनवे पर टेकऑफ के लिए रोल करना शुरू करता है। यह प्‍लेन अपनी पूरी गति पर था, तभी इंदौर से उड़ान भरकर मुंबई एयरपोर्ट पहुंची इंडिगो एयरलाइंस की फ्लाइट रनवे पर अचानक लैंड कर जाती है। 
कुछ सेकेंड के लिए रनवे पर दोनों विमानों की दूरी बेहद कम रह जाती है। कोई अनहोनी होती, इससे पहले एयर इंडिया का प्‍लेन टेकऑफ कर जाता है और एक बड़ा हादसा टल जाता है। यदि खासतौर पर मुंबई एयरपोर्ट की बात करें, तब एक ही रनवे की उपलब्‍धता के चलते रनवे पर चंद सेकेंड के अंतराल में प्‍लेन का टेकऑफ और लैंडिंग सामान्‍य सी बात है। लेकिन, इस बीच कोई अनहोनी न हो, इसके लिए एयर ट्रैफिक कंट्रोल की जिम्‍मेदारी है कि दोनों प्‍लेन के बीच समचुति दूरी बनाए रखे। 
एक सीनियर पायलट के अनुसार, प्‍लेन की लैंडिंग स्‍पीड एयरक्राफ्ट के मेक पर निर्भर करता है। सामान्‍यतय: लैंडिंग से करीब पांच मिनट पहले तक किसी भी प्‍लेन की स्‍पीड करीब 380 किमी प्रति घंटा तक होती है। वहीं, रनवे पर लैंडिंग के दौरान प्‍लेन की एवरेज स्‍पीड करीब 240 किमी प्रति घंटा से 270 किमी प्रति घंटा के बीच होती है। इस स्‍पीड में कोई भी प्‍लेन आसानी से रनवे पर सुरक्षित लैंडिंग कर सकता है। 
वहीं 240 किमी प्रति घंटा से 270 किमी प्रति घंटा तक की स्‍पीड से रनवे पर लैंड होने वाले विमान को रोकने के लिए दो तरह के ब्रेकिंग सिस्‍टम काम करते हैं। पहले ब्रेकिंग सिस्‍टम का नाम है थ्रस्ट रिवर्सल। थ्रस्‍ट रिवर्सल अप्‍लाई करते ही प्‍लेन के विंग्‍स में लगे फ्लैप खुल जाते हैं और ब्रेकिंग सिस्‍टम के जरिए विमान की स्‍पीड को कंट्रोल किया जाता है। विमान की स्‍पीड कंट्रोल होने के बाद पायलट पैडल ब्रेक के जरिए प्‍लेन को रोकता है। 
सीनियर पायलट के अनुसार, रनवे पर लैंडिंग के बाद सामान्‍यतय: थ्रस्‍ट रिवर्सल ही अप्‍लाई किया जाता है, जिससे विमान की गति को नियंत्रित करके टैक्‍सी वे की तरफ मोड़ा जा सके। टैक्‍सी वे से पार्किंग वे या एयरोब्रिज तक पहुंचते पहुंचते प्‍लेन की गति बेहद सीमित हो जाती है, जिससे पैडल ब्रेक के जरिए प्‍लेन निर्धारित स्‍थान पर रोक लिया जाता है। वहीं, पैडल ब्रेक के काम नहीं करने की स्थिति में पायलट इमजेंसी ब्रेक का भी इस्‍तेमाल करते हैं। 
इमरजेंसी ब्रेकिंग सिस्‍टम का बटन दबाते ही विमान के एयर टैंक, सोलनॉइड वाल्‍ब, फ्लो कंट्रोल वाल्‍व और पेनुमेटिक सिलेंडर सक्रिय हो जाते हैं। सॉलनॉइड वाल्‍व खुलते ही फ्लो कंट्रोल वॉल्‍ब के जरिए एयर कंप्रेस्‍ड की जाती है। एयर कंप्रेशन की वजह से पेनुमेटिक सिलेंडर पर दबाव प्‍लेन के टायर्स पर पड़ता है और इस तरह प्‍लेन को इमरजेंसी ब्रेक के द्वारा रोका जाता है।